Quran To Hai Par Musalman Koi Nahin
Prof. Rameshwa Mishra 'Pankaj Prof. Kusumlata Kedia
ISBN: 9788195453078, 8195453074
Publisher: Akshaya Prakashan
Subject(s): Politics and Curant Affairs
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Title: Quran To Hai Par Musalman Koi Nahin
Author: Prof. Rameshwa Mishra 'Pankaj Prof. Kusumlata Kedia
ISBN 13: 9788195453078
ISBN 10: 8195453074
Year: 2024
Language: Hindi
Pages etc.: 136pp., 22cms.
Binding: Paperback
Publisher: Akshaya Prakashan
Subject(s): Politics and Curant Affairs
जो लोग इस्लाम की आड़ में ‘लॉ लेसनेस’ करते हैं, वे स्वयं इस्लाम के आधारभूत स्तंभों का पालन नहीं करते।
अतः कुरान-हदीस के अनुसार उन्हें मोमिन नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोग तो वस्तुतः बनावटी मुसलमान हैं।
इस्लाम इनके लिए अवैध-आपराधिक कार्यों के लिए एक ढाल भर है, इनकी इस्लाम में कोई आस्था नहीं है।
कुरान के अनुसार, उन्हें इस्लाम के नाम पर मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान, मजार, दरगाह आदि पर और उनके प्रबंध पर कोई भी हक
नहीं है। - निगमानन्द
अनुक्रम : आमुख - प्रो. रामेश्वर मिश्र ‘पंकज’, प्रो. कुसुमलता केडिया; 1. मुसलमान कौन / मोमिन
कौन; 2. हदूद जुर्म या हदूद गुनाह और कपटी मुसलमान; 3. मोमिन के गुनाह और सजाएँ; 4. मोमिन
और काफिर; 5. इस्लाम का उत्कर्ष बनाम अरब कौम का उत्कर्ष; 6. भरतवंशी तुर्कों की प्रभुता, अरब
लोगों की दासता और बनावटी इस्लाम का तुर्क-पारसीक-भारतीय विस्तार; 7. इस्लाम बनाम बनावटी
इस्लाम (अल्लाह का इस्लाम बनाम मुल्लों का इस्लाम); 8. इस्लामी कला; 9. भारत में इस्लाम :
छन्द्याचार और दावेदारी; 10. 20वीं शताब्दी में तुर्कों के प्रतिशोध के लिए ईसाइयों ने इस्लाम और अरब
को पर्याय प्रचारित किया।
प्रो. रामेश्वर मिश्र ‘पंकज’ - दार्शनिक, समाजवैज्ञानिक एवं इतिहासकार, पूर्व परामर्शदाता, संस्कृति