Bharat Ke Shaurya Ki Gaurav Gatha (Mugal Kaal Ke Bhoole Bisare Hindu Yoddha)
Dr. Rakesh Kumar Arya
ISBN: 9788195453092, 8195453090
Publisher: Akshaya Prakashan
Subject(s): History
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Title: Bharat Ke Shaurya Ki Gaurav Gatha (Mugal Kaal Ke Bhoole Bisare Hindu Yoddha)
Author: Dr. Rakesh Kumar Arya
ISBN 13: 9788195453092
ISBN 10: 8195453090
Year: 2024
Language: Hindi
Pages etc.: xxiv+362 pp., 8 pages of col. Pics., 23 cms.
Binding: Hardback
Publisher: Akshaya Prakashan
Subject(s): History
डॉ. राकेश कुमार आर्य का जन्म 17 जुलाई 1967 को ग्राम महावड़ परगना तहसील दादरी जनपद गौतम बुद्ध नगर उत्तर प्रदेश में हुआ। श्री आर्य के पिता का नाम श्री राजेंद्रसिंह आर्य और माता का नाम श्रीमती सत्यवती आर्य है। विधि व्यवसायी होने के साथ-साथ डॉ. आर्य एक प्रखर वक्ता भी हैं।
अब तक डॉ. आर्य ने 80 पुस्तकें लिखी हैं। आप 'भारत को समझी अभियान समिति' के माध्यम से भारतीय धर्म, संस्कृति और इतिहास परंपरा के क्षेत्र में लोगों में जागृति लाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है। आपकी लेखनी राष्ट्र-धर्म की साधिका है। आपने भारत के 1235 वर्ष के स्वाधीनता संग्राम को सन् 712 ई0 से लेकर 1947 तक 6 खंडों में प्रकाशित कराया है। इस ग्रंथ माला को भारत सरकार द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही इसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी सम्मिलित किया गया है। हिंदू इतिहास के गौरवपूर्ण पक्ष को आपने बहुत ही उत्तमता के साथ प्रस्तुत करने का राष्ट्रवंद्य कार्य किया है। लेखक ने इतिहास के साथ-साथ गीता के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को भी युगीन आवश्यकता के रूप में बुद्धि संगत और तर्कसंगत परिभाषा दी है।
डॉ. आर्य को 'वर्ल्ड कंस्टीट्यूशन एंड पार्लियामेंट एसोसिएशन' के ग्लोबल प्रेजिडेंट डॉ. ग्लेन टी. मार्टिन (अमेरिका) द्वारा वर्ल्ड पीस एनवॉय वर्ल्ड 2022 (विश्व शांति दूत 2022) के सम्मान से सम्मानित किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. आर्य ने सनातन के उन नाम - अनाम अनेक योद्धाओं को प्रस्तुत किया है, जिन्होंने कथित मुगल काल में हमारी स्वाधीनता के अपहर्ताओं के साथ या तो जमकर संघर्ष किया या फिर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। यदि यह कहा जाए कि अपने इतिहासनायकों के बारे में अनेक नए तथ्य प्रस्तुत कर लेखक ने इस ग्रंथ को एक संदर्भ ग्रंथ बना दिया है, तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। डॉ. आर्य का परिश्रम साध्य ग्रंथ स्तुत्य, संग्रहणीय और युवा वर्ग के लिए पठनीय है।